एक रुपए और चंद अक्षरों ने 'नौ' महीने के कष्ट को बराबर कर दिया। एक रुपए और चंद अक्षरों ने 'नौ' महीने के कष्ट को बराबर कर दिया।
खाना-पानी त्याग, मुझे दुलराती थी मजाल! कोई डाँट सके, कोई मार सके खाना-पानी त्याग, मुझे दुलराती थी मजाल! कोई डाँट सके, कोई मार सके
चारपाई में बैठते ही, सामने तस्वीर में कुछ बोलने का अहसास सा होता है माँ। चारपाई में बैठते ही, सामने तस्वीर में कुछ बोलने का अहसास सा होता है माँ।
माँ की महिमा क्या करूँ बखान माँ हर रूप में होती है महान। माँ की महिमा क्या करूँ बखान माँ की महिमा क्या करूँ बखान माँ हर रूप में होती है महान। माँ की महिमा क्य...
बेटा -बेटी का फर्क भी हमको ही मिटाना है बेटा -बेटी का फर्क भी हमको ही मिटाना है
जब जब तू मेरी आँखों में देखता रहता है तब तब वो पल मेरे लिए प्रपोज़ डे होता है, जब जब त जब जब तू मेरी आँखों में देखता रहता है तब तब वो पल मेरे लिए प्रपोज़ डे होता है, ...